इतना ही नहीं अनुच्छेद २ ६ के तहत धार्मिक कार्यों के प्रबंध की स्वतंत्रता के अधीन चल एवं अचल (जंगल और स्थावर) सम्पति के अर्जन और स्वामित्व का अधिकार तथा ऐसी सम्पति का विधि के अनुसार प्रशासन करने का अधिकार से वंचित किय जा रहे हैं।
2.
संविधान के अनुच्छेद 26 जो धार्मिक कार्यों के प्रबंध की स्वतंत्रता से संबंधित है, उसकी उप-धारा (ग) के अनुसार चल एवं अचल संपति अर्जित करने एवं उसके स्वामित्व का अधिकार है वहीं उप-धारा (घ) इस तरह से प्राप्त संपति के प्रबंधन का भी अधिकार प्रदान करती है परन्तु यह स्वतंत्रता धार्मिक संप्रदाय या उसके अनुभाग को हासिल है न कि किसी निजि व्यक्ति को ।
3.
धर्म स्वतंत्रता का अधिकार (अनुच्छेद 25 से 28) इस अधिकार के अन्तर्गत किसी भी व्यक्ति को अग्रलिखित अधिकार प्रदान किए गए हैं-• अन्तःकरण की स्वतंत्रता और धर्म के अबाध रूप में मानने और प्रचार करने की स्वतंत्रता (अनुच्छेद 25) • धार्मिक कार्यों के प्रबंध की स्वतंत्रता (अनुच्छेद 26) • किसी विशिष्ट धर्म की अभिवृद्धि के लिए करो के संदाय के बारे में स्वतंत्रता (अनुच्छेद 27) • कुछ शिक्षा-संस्थाओं में धार्मिक शिक्षा या धार्मिक उपासना में उपस्थित होने की स्वतंत्रता (अनुच्छेद 28)